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वेज्ञानिकों ने कम्प्यूटर के इलेक्ट्रोनिक उपकरणों के आधार पर कम्प्यूटर जनरेशन को पांच भागों में बांटा है. :-
“ कम्प्यूटर की पहली पीढ़ी ”
इस जनरेशन के कम्प्यूटर्स में डायोड वाल्व वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग किया गया. इसमें दो इलैक्ट्रोड्स-कैथोड एवं एनोड होते थे, इसलिये इसे डायोड कहा गया.वाल्व होने के कारण इसे इलेक्ट्रोनिक स्वीच की भांति प्रयोग किया गया.
प्रथम इलेक्ट्रोनिक कम्प्यूटर (ENIAC) प्रथम पीढ़ी का कम्प्यूटर है. EDSAC (Electronic Delay Storage Automatic Calculator) सबसे पहला संग्रहित प्रोग्राम कम्प्यूटर था. UNIVAC (Universal Automatic Computer) सबसे पहला ऐसा इलेक्ट्रोनिक कम्प्यूटर था जिसे व्यापारिक अनुप्रयोगों के लिए तैयार किया गया था.
“ पहली पीढी के गुण “
इस जनरेशन में प्रोग्रामिंग मशीन और असेम्बली भाषा (Programming in Machine and Assembly Language) में की जाती थी, मशीन लेंग्वेज केवल 0 और 1 पर आधारित होती हैं. कम्प्यूटर के समझने योग्य भाषा जिसमें प्रोग्राम लिखा जाय कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा कहलाती है.
इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में वैक्यूम ट्यूब का उपयोग किया गया था. ये लगातार विद्दूत के संवहन से गरम होने के कारण जल्दी खराब हो जाते थे. अत: वातानुकूलित इकाई में रखना जरुरी होता था. वैक्यूम ट्यूब आकार में बड़ी होती थी अत: इस पीढ़ी के कम्प्यूटर के आकार भी बड़े होते थे.
इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में इन्टरनल मेमोरी के रुप में मेग्नेटिक ड्रम का उपयोग किया जाता था.
प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर का कार्य सीमित होता था.
“ कम्प्यूटर की दूसरी पीढ़ी “
दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में मुख्य तार्किक उपकरण वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्राजिस्टर(Transistor) का उपयोग किया गया. ट्राजिस्टर का कार्य वैक्यूम ट्यूब के समान था लेकिन इसकी कार्य करने की गति अधिक थी तथा यह आकार में छोटा व अधिक विश्वसनीय था. ट्राजिस्टर वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर कम गरम होता था तथा विद्दुत की खपत भी कम होती थी.
“ दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर के गुण “
मेमोरी के लिए मेग्नेटिक ड्रम के स्थान पर मेग्नेटिक कोर का प्रयोग हुआ.
Secondary
Storage संग्रह के लिये पंचकार्ड के अलावा मेग्नेटिक टेप और डिस्क का प्रयोग हुआ.
इस पीढ़ी में हाई लेवल लेंग्वेज (High Level Language) का आविष्कार हुआ जैसे FORTRAN, COBOL आदि. इस भाषा में सामान्य अंग्रेजी के अक्षरों का प्रयोग किया गया जो मशीनी भाषा में प्रोग्रामिंग करने के स्थान पर काफी सरल होते थे.
ये प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर से आकार में छोटे थे और संग्रह क्षमता और गति भी काफी अधिक थी.
“ कम्प्यूटर की तीसरी पीढ़ी “
इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में इलेक्ट्रानिक उपकरण के रुप में ट्रांजिस्टर के स्थान पर आई सी (Integrated Circuit) I.C. का
उपयोग किया गया. एक IC में ट्राजिस्टर, रेजिस्टर कैपेसिटर तीनों ही समाहित हो गए. जिससे कम्प्यूटर का आकार अत्यंत छोटा होता गया.
“ तीसरी पीढ़ी के गुण “
इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाने लगा, जिसके कारण कम्प्यूटर के आंतरिक कार्य स्वचालित हो गये.
हाई लेवल लेंग्वेज में नई भाषाओं का विकास हुआ जैसे BASIC (Beginners All Purpose Symbolic Instruction Code).
मिनी कम्प्यूटर का विकास हुआ जो आकार में काफी छोटे थे.
Document बनाना तथा उन्हें प्रोसेस करना प्रारंभ हुआ.
“ कम्प्यूटर की चौथी पीढ़ी “
इस पीढ़ी में लार्ज स्केल आई.सी. (Large Scale Integrated Circuit) बनाना सम्भव हुआ. एक छोटे से चिप में लाखों ट्राजिस्टर समा गये. इस चिप को माइक्रोप्रोसेसर नाम दिया गया. माइक्रोप्रोसेसर युक्त कम्प्यूटर को माइक्रो कम्प्यूटर कहा जाने लगा. सबसे पहला माइक्रोकम्प्यूटर MITS नामक कम्पनी ने बनाया.
“ चौथी पीढ़ी के गुण “
माइक्रो कम्प्यूटर के आकार को छोटे से छोटा करना, गति तेज और कम्प्यूटर सस्ते करना.
कोर मेमोरी के स्थान पर अर्धचालक या सेमीकंडक्टर पदार्थ की मेमोरी का उपयोग हुआ. जो आकार में छोटी और गति में तेज होती थी.
नये -नये साफ्टवेयर का निर्माण हुआ. जैसे स्प्रेडशीट, एप्लीकेशन्स, डेटाबेस का कार्य करने के लिये सरल साफ्टवेयर तैयार किये गये.
“ पांचवी पीढी “
इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में स्वयं सोचने की क्षमता पैदा की जा रही है. कम्प्यूटर को हर क्षेत्र में कार्य करने योग्य बनाया जा रहा है.
इस पीढ़ी में सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए कम्प्यूटर्स को जोड़कर नेटवर्क बनाया गया. जिसे इंटरनेट नाम दिया गया. दुनिया भर के कम्प्यूटर इंटरनेट से जुड़े है.
माइक्रोकम्प्यूटर का आकार दिन प्रतिदिन छोटा होता जा रहा है. आज घड़ी के आकार का कम्प्यूटर भी बाजार में उपलब्ध है. कम्प्यूटर को आकार के कारण डेस्क टॉप, लैप टॉप, पाम टॉप नाम दिया गया.
मल्टीमीडिया का विकास इसी पीढ़ी में हुआ. जिसमें ध्वनि (Sound), चित्र (Graphics), टेक्स्ट (Text) तथा एनिमेशन आदि सम्मिलित है
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